पेज

गुरुवार, 20 अप्रैल 2023

अपने अपने युद्ध



कोई बाह्य युद्ध मे रत तो कोई आंतरिक से जूझ रहा है। घरों में रहने वालों के चारदीवारियों के भीतर का युद्ध,एक कमरे में रहते हुए अलग-अलग लोगों का भी युद्ध एक तरह का नहीं होता है। 


कुछ अपनी परिस्थितियों से युद्ध कर रहे होते हैं। तो कुछ अपने ही मन में एक युद्ध निरंतर जी रहे होते। कुछ भाग्य से लड़ रहे होते, कुछ ईश्वर से युद्ध मे होते...... उनकी लिखी नियति को अस्वीकार कर अपने ध्येय को पूर्ण करने के लिए। जितने लोग, उतनी ही सपने और उतने ही युद्ध। कोई किसी से दूर जाने का युद्ध लड़ रहा तो कोई किसी को पास लाने के लिए अपने आस पास के लोगों से....कोई त्रिशंकु सा अपनी ही मनोस्थिति के बीच युद्धरत। कोई पहचान का युद्ध कर रहा ,कोई अधिकार का ,कोई अस्तित्व का । 


हथियार सबके भिन्न होते हैं... कुछ के इतने मारक के एक जीव समूह का विनाश करते ,कुछ परिवेश का और कुछ खुद के लिए भी घाती। घृणा ,क्रोध , प्रेम , सामंजस्य , अभद्रता और न जाने कैसे -कैसे हथियार ।


 अंदर युद्ध ,बाहर युद्ध ,जीवन वास्तव में सरल नहीं बल्कि एक रनक्षेत्र है। बाहर होने वाले युद्ध की भर्त्सना होती ,शान्ति के प्रयास होते। कुछ पक्ष ,कुछ विपक्ष में होते। किंतु अंदर के युद्ध ......उसका क्या ???

 

 क्या यह सम्भव नहीं कि अंदर के युद्ध जीत कर हम बाहर युद्ध की स्थिती ही न बनने दें । सम्भव क्या?????? असम्भव है....। जीवन एक समर है ,जहां धरती पर पहली सांस लेते ही शुरू हो जाते अंतहीन युद्ध.... जब तक आस है ,जब तक सांस है।

कोई टिप्पणी नहीं: