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रविवार, 20 अप्रैल 2025

कहानी तेरी मेरी


 छोटे- छोटे सूक्ष्म विचार ,जीवन का ये गूढ़ संसार ,

मानवता या अत्याचार ,हो घोर घृणा या प्रीत-प्यार ..

ये बनी कहानी तेरी- मेरी ..


घना अँधेरा ,रात अमावस ,

तारों संग घिरता ,गहन से तमस,

भूख -गरीबी घोर निराशा ,

ये बनी कहानी तेरी मेरी ...


सुबह का सूरज, भोर की लाली ,

अतिषा संग फैली खुशहाली ,

सुरभित हो जब क्यारी क्यारी ,

ये बनी कहानी तेरी मेरी ...


भोजन- भजन,धर्म और कर्म , 

शहर गाँव का कोई भी मर्म ,

हर जगह छुपी एक बात अधूरी,

जो भावों संग होती पूरी,


उज्ज्वंत शब्द के संयमित प्रान्त , 

पढ़कर भी कोई ना हो क्लांत ,

इसकी- उसकी याद की थाती , 

जग के हर अनुभव की पाती ,

बिन बोले जो सब कह जाती,

ये बनी कहानी तेरी मेरी ....

ये बनी कहानी तेरी - मेरी 

( डॉ. मधूलिका )

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