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गुरुवार, 28 जुलाई 2022

कुछ छोटी सी..... पर बहुत बड़ी खुशियां

 


PTM इसकी नोटिस आते ही मेरा दिमाग खराब हो जाता था। हर बार स्कूल जा कर बच्चे के लिए अपेक्षानुरूप परिणाम ना पाना कितना तकलीफ दे होता है, इस बार भी कहीं बेटी ने एग्जाम में कम मार्क्स ना लाएं हों; इस सोच में डूबी सुबह से थोड़ा चिड़चिड़ी सी हो चली थी ।यूं तो बाकी एक्टिविटीज में अच्छी है पर स्कूल में लिखने में थोड़ा गड़बड़ी करती है। थोड़ा विचलित मनोस्थिति से मैं स्कूल पहुंची ,,अपेक्षा के उलट रिजल्ट काफी अच्छा था ।खुशी मेरे चेहरे पर पसरी हुई थी।
लौटते वक्त सीढ़ियों पर एक मां अपने बच्चे को बेतहाशा प्यार जताते हुए दिखे बेहद खुश थी ।मुझे लगा शायद इस एग्जाम में टॉप किया होगा इनका बेटा। मैंने यूं ही हाथ बढ़ा दिया और उसे कांग्रेचुलेशन बोल दिया उसकी आंखों और मुस्कान में गर्व और संतुष्टि दिख रही थी ।मैंने कहा शायद आपके बच्चे ने टॉप किया है ,मेरी ओर से बहुत-बहुत बधाई
उसका जवाब था - नो मैम क्लास में तो नहीं किया पर अपनी कमजोरियों को अब वह जीत रहा है ।मैं हैरान सी हो गई ;मैंने पूछा इसका मतलब !!!!!!जवाब में उसने रिजल्ट आगे कर दिया ।यह क्या औसत दर्जे का रिजल्ट किसी में   B1, किसी  में B2, किसी में  B1 ,मुश्किल से किसी में A1 ग्रेड .......... मुझे थोड़ा अजीब लगा कि इस रिजल्ट के साथ इतनी खुशी । पर मैंने खुद को शिष्टाचार याद दिलाए रखते हुए कहा ; आप जैसे पेरेंट आजकल कम ही मिलते हैं जो बच्चे पर किसी भी बात का बोझ नहीं डालते और उसकी छोटी सी छोटी सफलता को भी बहुत बड़ी उपलब्धि मानकर खुश होते हैं ।
बदले में उसने जो जवाब दिया उसे सुनकर मैं स्तब्ध हो गई थी। उसने कहा मैम.... मेरे बच्चे का हर एक कदम ,हर एक नया शब्द मेरे लिए माइलस्टोन है ।मेरे चेहरे पर अब प्रश्न का भाव और गहरा हो गया था ,उसे देखकर उसने मुस्कुराते हुए बताया मैं मेरे बेटे को ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर है। यह बोलता नहीं था...... सोशल भी नहीं था....... कमांड को सिर्फ कभी-कभी ही समझता था या विजुअल समझाने पर ही कमांड लेता था ।शुरुआत में इसके 2 साल की एक्टिविटी शीट में सिर्फ नेवर  या कुछ कॉलम में सम -टाइम भी लिखे रहते थे । असिसमेन्ट के नाम पर मुझे यही दो शब्द मिलते थे ।आज वह बच्चा किसी में भी B वन या टू, कुछ में A ला रहा है तो मेरे लिए तो वह दुनिया का टॉपर बच्चा है। उसने लगातार अपनी अक्षमता को हराया है ,वह खुद से लड़कर जीतना सीख रहा मैम । मेरे बेटे ने नेवर से ....ऑलवेज और .........मोस्ट ऑफ द टाइम तक का जो सफर किया है ,वह मेरे लिए दुनिया का सबसे बड़ा अचीवमेंट है । यह शायद आप नहीं समझेंगी कि मैं  क्यों इतनी खुश???????? क्योंकि आप तो ऐसे ग्रेड की दौड़ में आगे लाकर भी संतुष्ट नहीं होंगी । अब नॉर्मल लोग बच्चों को सिर्फ मार्क्स और एक्टिविटी की मशीन बनाते हैं..... अंधी दौड़ में रखते हैं और उसके बाद भी आपको संतुष्टि नहीं होती।  सोचिए जरा जब मेरा बच्चा बोलता नहीं था ,तब उसका पहला शब्द क्या मेरे लिए दुनिया के अनमोल खजाने से  क्या कम रहा होगा????????  एक नॉर्मल ना माने जाने वाले बच्चे का यह सफर मुझे किस हद तक संतुष्टि देता रहा होगा .......आपको लगता होगा सिर्फ एक शब्द ही तो बोला पर मेरे लिए वह उसकी बोल ना सकने की क्षमता और उसके एक्सप्रेस न कर पाने की क्षमता पर जीत थी ।

हर एक नया शब्द मुझे शब्दकोश से भी बड़ा लगता था..... उसकी एक चीज, की गई हर एक्टिविटी मेरे लिए किसी मैडल से कम नहीं थी । उसने खुद के अब नॉर्मल या स्पेशल चाइल्ड के लेवल के हर्डल को हराने के लिए जो भी कदम बढ़ाए वह मेरे लिए इस दुनिया की सबसे बड़ी खुशी है । वह दौड़ में पहला ना आए मुझे चलेगा पर उसे बस खुद पर यकीन तो रहे कि उसे चलते बनता है।  वह भाषण या वाद-विवाद में भाग ना ले चलेगा ......पर अपनी भूख, अपना दर्द, अपनी चोट मुझे बोलकर तो समझा पाए ।
मैम मेरे बेटे ने जीरो से शुरुआत की है वह किसी और के टेस्ट पेपर को नहीं ,पर अपनी जिंदगी बिना किसी मदद के जी सके ......यही सबसे ऊंचा शिखर होगा और यही उसका लाइफ़ मोटिव  भी।  खैर मैम आप नहीं समझोगे थैंक यू फ़ॉर   फोर योर विशेस एंड ब्लेसिंग कहकर  वह अपने बच्चे को गोद में लेकर उसी मुस्कान के साथ लाड़ जताते हुए चली गई। ना जाने कितनी बार यह बोलकर कि आप नहीं समझोगी .........वह मुझे सब समझा  गई।
मुझे याद आ गया मेरी बेटी का बचपन जब उसने पहली बार मुझे पहचाना था ,जब उसने पहली बार मुझे देख कर मुस्कुराया था, जबकि हम बड़े तो झूठी मुस्कान में माहिर होते हैं ,पहली बार उसका बोला गया शब्द ,पहली बार उसका किया गया मां का संबोधन ,पहली बार उसके बैठने का प्रयास, पहली बार उसका कदम बढ़ाना और डगमगा कर गिर जाना ,पहला निवाला जो उसने अपने हाथों से खाया, वह पहली बार स्कूल में मेरे बिना रोते हुए बिताना वह भी अपरिचित चेहरों के बीच में। पहली बार स्कूल ड्रेस और स्कूल बैग का थामना ,पहली बार पेंसिल से कुछ बनाने की कोशिश करना, मेरे बिना स्कूल पिकनिक जाना ,यहां तक कि मेरी मदद के बिना मेरे बिना किसी इंस्ट्रक्शन के पोटी शुशु जाना ......यह हंसी का विषय नहीं है ।महसूस करने का विषय है कि हमारे बच्चे की छोटी-छोटी बातें हमें कितनी खुशी दे जाते हैं ।वह सारे प्रयास जो उसने अपने जीवन क्रम में अपने पहले माइलस्टोन के रूप में शुरू किए और स्थापित किए वाकई उस पहले की खुशी....सफलता के सर्वोच्च शिखर और चरम सुख- अनुभूति से कम नहीं होते।
  खुशियां वाकई प्रतियोगिता में सफलता हासिल करने से नहीं मिलती है ,बल्कि खुद से खुद को जीतने के एहसास में महसूस की जा सकती है। आत्म संतुष्टि की संतृप्ति क्या होती है , वह मां मुझे समझा गई.... जिसके बेटे का हर एक कदम उसके लिए एक प्रतिमान था। अब अगली बार किसी की छोटी खुशियों में खुश होते देखिएगा तो उसकी तुलना मत करिएगा ........ उसके संतुष्टि को समझने की कोशिश करिएगा।
  #डॉ_मधूलिका
  #ब्रह्मनाद

2 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

Heart touching 👌👌

Dr.Madhoolika Tripathi ने कहा…

Thank you