बाकी ना रहे जो ,
इस दुनिया मे ,
कोई निशां हमारा...
देखना पलट कर कभी ,
यादों के सफ़हों पर हमें,
कुछ तो बाकी होगा,
जो सुपुर्दे ख़ाक ना होगा।
एक ठहरी हुई नज़र,
एक घुलती हुई मुस्कान,
एक साथ देने का वादा,
और एक कभी ना ख़त्म,
होने वाली शाम ....
एक बारिश की ,
भीगी हुई सी याद,
एक अब तक ना,
जिया गया ,
लम्हों में सदियों सा साथ....
एक ख़ामोश सी सुबह,
एक कोलाहल भरी शाम,
एक संग ;जप्त दो सांसें,
एक कदम पर पड़ते,
दूसरे कदमों के निशान....
एक बदन पर उगता
एक इंतज़ार का जंगल,
एक हर पल,
सीली सी,
दरके ख्वाबों की ज़मीं....
एक राह को तकती,
एक जोड़ी, जमी आंखें,
एक उम्र से इंतज़ार में ,
तकती ;जिंदगी,
जीने को नयी सांसें .....
हां ,बहुत कुछ,
बाकी रह जाएगा ,
जो सुपुर्दे ख़ाक,
ना हो पाएगा,
वो जो कुछ अनकहा,
अनसुना रह जाएगा,
ढूंढ लेना खुद में ही कहीं,
एक जिंदगी का इंतजार,
एक आत्मा का दर्ज बयां.....
#डॉ_मधूलिका
#ब्रह्मनाद
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