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सोमवार, 13 जून 2022

 #ये_बारिशें_तुम_जैसी_हैं 



बारिश और तुम्हारा ना जाने क्या रिश्ता है,हर  साल मौसम  की पहली बारिश तुम्हारे नाम होती है।दो साल पहले जब डॉ के क्लिनिक से भीगते हुए सेंटर वापस लौटी ,तुम्हारा मैसेज ब्लिंक हुआ..... कहाँ हो आप??? जवाब दिया ,बारिश में भीगते हुए लौटी अभी ,पूरी तर हूँ..... । स्क्रीन पर दोबारा आपका जवाब ...अहा बारिश ...पर कैसे मानूं आप भीगे हो,सेल्फी भेजिए।

और मैं ना जाने क्यों सारी झिझक छोड़कर, आपको साड़ी में भीगी हुई ...खुद की सेल्फी भेज दी। आपका जवाब आ गया,प्रकृति खुद में सराबोर ..भीगी, कितनी प्यारी लगती है। कोई बनावट नही,कोई आभूषण नहीं ,फिर भी बेहद प्यारी। 


आपका जवाब पढ़कर एकबारगी खुद से प्यार हो गया(हालांकि खुद को मैं कभी नही भायी) .... रियर व्यू मिरर में खुद को देखकर मुस्कुरा उठी.... । यूँ तो बारिश में अकेले ,खाली सड़कों पर घूमते हुए भीगना बड़ा पसन्द था,पर आज बारिश कुछ खुमारी सी बरसा गई। पता नहीं क्यों पलकें कुछ बेझिल सी थी,हया का बोझ था उनमे। लगा ये बादल नहीं ,तुम ही हो ,जो मुझे सराबोर कर गए। 

पिछली बार भी कुछ ऐसा हुआ कि जिस दिन पहली बारिश थी,कुछ दिनों की व्यस्तता में गुम आप उसी दिन लौटे। कभी कभी लगता ये मेघ आपके ही दूत....#मेघदूतम की कृति आपकी अपनी है। जब जब आप आते ,ये पहले सन्देशा ले आते...***सुनो भद्रे,हिय में बसने वाले पिय आ गए** .... और मन उन्मत्त हो उठता उस मोर की तरह जो बादल देखकर नाचने लगता। तुम्हारे आने की वो खुशबू,जो धरती खुद के सौंधेपन से मुझमें समा देती...,।


मेरे सूखे ,झुलसे अतृप्त मन को सदा ही अपने नेह से यूँ ही लहलहा देते हो,जैसे पहली बारिश से धरती....हां एक उमस सी भी महसूस होती, जो प्रतीक्षा की आतुरता सी बढ़ती ही जाती....पर बारिश के साथ तुम्हारा आना ही मुझे संतृप्त कर जाता..... आजकल पहली बारिश में भीगना मुझे तुम्हारा एहसास करा जाता। जहाँ मैं रोते रोते हंसने लगती...जहाँ अंदर का दाह शांत हो जाता, जहाँ कोर कोर सीज जाता,तुम्हारे  होने के एहसास है.....जिसमें मैं दोनो हांथो को खोलकर समेट लेना चाहती,तुम्हारे प्यार का एक एक कतरा... और तुमने ही तो कहा था ना...बारिश पड़े तो भीगिये। तो भीग रही हूँ ,आज फिर तुममे ,तुम्हारे एहसासों की बारिश में......हां, पहले मुझे बारिश पसन्द थी;पर अब बारिश से प्यार है। हां ये बारिश जब जब आएगी, मुझे तुममें भिगो के जाएगी,तुम कहीं भी रहो, ये मुझे तुम्हारे बेहद करीब होने का एहसास दिला ही जाएगी.....। 

ये बादल भी तो देखो ना आज फिर तुम्हारे ही प्यार की बूंदे बरसा गया....हां मैं आज फिर भीगी हूँ......

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#ब्रह्मनाद 

#डॉ. मधूलिका

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