ज़िन्दगी
हर रूप हर रंग में,
ढलती है जिंदगी .. ,
आंसुओं में धुंधली ,
हंसी में खुलकर बिखरती है जिंदगी ,..
कभी साज़, कभी आवाज़ .
सांसों का राग है जिंदगी ,..
कभी खिखिलाहट,कभी उदासी ,
ग़मों का आगाज़ , है जिंदगी,..
जिए जो हर पल, तो एहसास है जिंदगी ,
वर्ना ख़्वाबों सा अरमान है जिंदगी ...
(मधुलिका )
17 टिप्पणियां:
हल्के हल्के अल्फाज़ों से उतर कर , वज़नदार ख्याल आपने प्रस्तुत किया .. !!
बहुत ही भावना प्रधान लेखन ...!!
गूढता जब सरलता में प्रवाहित हो जाए तो वो सर्वमान्य-सर्वसुलभ हो जाती हैं...
हार्दिक आभार
बहुत सुन्दर रचना मधुलिका जी.....
मधु घोलती सी.....
अनु
मधुमिश्रित शुभकामनाओं हेतु आभारी हूँ
हर रूप हर रंग में,
ढलती है जिंदगी .. ,
आंसुओं में धुंधली ,
हंसी में खुलकर बिखरती है जिंदगी
Nice
हृदयश : आभार
बहुत सुन्दर है यह रचना..
प्यारी सी..
:-)
हृदयश: कोटिश आभार रचना जी
पिछली टिप्पणी मे तारीख की गलत सूचना देने के लिये खेद है
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कल 16/09/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
बहुत खूब ...
जिंदगी के रूप को बयां करती हुई शानदार कविता...बहुत खूब |
सादर |
मेरा ब्लॉग आपके इंतजार में,समय मिलें तो बस एक झलक-"मन के कोने से..."
आभार...|
बहुत खूबसूरत !
~कभी सुक़ून-ओ-चैन के संग...
कभी विरोधाभास में... जीती है ये ज़िंदगी..~
सही नजरिया ………… बेहतरीनं। ……
कोटिश : आभार गीत जी
एक प्रयास था ...ख़ुशी हुई आप लोगों की सराहना पाकर...धन्यवाद .
क्षमा की आपके शब्दों की ऊर्जा का प्रतिदान मिलने पर आभार ज्ञापन में विलम्ब हुआ..
कोटिश : साधुवाद :)
हार्दिक धन्यवाद :)
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