जिंदगी मेरी कटी, अक्सर तनावों में ,
बेमकसद जिंदगी ,चुभन सी सांसों में,
दर्द हर दम सालता ,इन् स्याह रातों में ,
लौ हमारी बुझ गई,बस राख खातों में ,
लग रही है बोलियाँ ,जीने की ख्वाहिस में ,
खुशियाँ अब सब चुक चुकीं ,गम के तकाजों में .
जिंदगी मेरी कटी ,अक्सर तनावों में ...
जिंदगी मेरी कटी ,अक्सर तनावों में ...
(मधुलिका )
बेमकसद जिंदगी ,चुभन सी सांसों में,
दर्द हर दम सालता ,इन् स्याह रातों में ,
लौ हमारी बुझ गई,बस राख खातों में ,
लग रही है बोलियाँ ,जीने की ख्वाहिस में ,
खुशियाँ अब सब चुक चुकीं ,गम के तकाजों में .
जिंदगी मेरी कटी ,अक्सर तनावों में ...
जिंदगी मेरी कटी ,अक्सर तनावों में ...
(मधुलिका )
4 टिप्पणियां:
वाह....
दर्द भी है और शिकायत भी...!!
good one..
pls remove word verification...then it will be easier for ur readers to comment.
thanks.
anu
दर्द ही तो शिकायत बन कर उभरता है...और शब्दों में ढल जाए तो काव्य या प्रवाहमय गद्य
Thnx. alot Anu ji for ur kind suggestion and appreciation.
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