लफ्जों की जुबान वो समझे नही..
अनकहे आंसुओं को क्या समझ पाते,
खुशियों का सौदा करने वाले..
मेरी दीवानगी क्या समझ पाते ,
वफ़ा ना की उसने ,ये जख्म सह जाते ..
उनकी बेतकल्लुफी से ही हम सब्र कर जाते,
बेवफाई जो करते वो ,तो इन्सान बन जाते..
वो बेवफा भी नही थे.....( !)..
वो बेवफा भी नही थे ...(! ) पत्थर के निकले ..
जिनमे कोई एहसास नही आते, जिनमे कोई एहसास नही आते,
(मधुलिका )
अनकहे आंसुओं को क्या समझ पाते,
खुशियों का सौदा करने वाले..
मेरी दीवानगी क्या समझ पाते ,
वफ़ा ना की उसने ,ये जख्म सह जाते ..
उनकी बेतकल्लुफी से ही हम सब्र कर जाते,
बेवफाई जो करते वो ,तो इन्सान बन जाते..
वो बेवफा भी नही थे.....( !)..
वो बेवफा भी नही थे ...(! ) पत्थर के निकले ..
जिनमे कोई एहसास नही आते, जिनमे कोई एहसास नही आते,
(मधुलिका )
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