चमकती, चहकती, दमकती चांदनी सुनी थी...... ये कुछ नई सी है, ग़मगीन चांदनी...!!
हा हा हा हा उसका भाव तो स्थिर है ,ये तो हम इंसानों की फितरत है जो अपनी भावानुरूप ढाल कर देखना चाहते हैं
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2 टिप्पणियां:
चमकती, चहकती, दमकती चांदनी सुनी थी...... ये कुछ नई सी है, ग़मगीन चांदनी...!!
हा हा हा हा उसका भाव तो स्थिर है ,ये तो हम इंसानों की फितरत है जो अपनी भावानुरूप ढाल कर देखना चाहते हैं
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