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शुक्रवार, 26 अप्रैल 2024

#मौन......?

 मौन


मौन...... मतलब?? निःस्तब्धता ....जब कहने को कुछ ना हो ..या जब कुछ कहना ही ना चाहें ........नहीं ।

मौन मतलब जब आपके भाव का प्राकट्य शब्द की अनिवार्यता से ऊपर उठ जाएं। शांति की वह परम अवस्था ;जब आप मानसिक रूप से शांत हों। जब आपकी आत्मा सिर्फ आपकी #सांसों_की_लय का संगीत गुनगुना रही हो । जब #स्थूल ,#सूक्ष्म रूप में भेद ना बचे। जब मन  / विचार किसी  #विचलन की अवस्था मे ना हों। #आत्मपरिवर्तन की दिशा है मौन । 

#गीता में मौन को तपस्या कहा गया है। वास्तव में ये एक साधना ही है। सामान्यतः मौन का अर्थ हम शब्द ध्वनि पर रोक  समझते हैं । हालांकि ये स्थिति भी पालन करने में बेहद दुष्कर होती है। बाहरी वातावरण के प्रभाव से आंतरिक द्वंद की स्थिति में वाणी निषेध वाकई साधना ही है। 

 हम अक्सर ध्यान और प्रार्थना के समय शाब्दिक मौन होते हैं। इस स्थिति में स्वयं में एक प्रभा मण्डल को जागृत होता हुआ व एक शक्ति  भी महसूस करते हैं। स्वयं की आंतरिक ऊर्जा का नियमन कर एक बिंदु पर एकाग्र होना .....एकनिष्ठ भाव होते हैं ; शाब्दिक मौन के। किन्तु उससे भी श्रेष्ठ होता है ,आत्मिक / आंतरिक मौन। 

समाधि सी अवस्था ....मौन । मन की निः स्तब्धता की दशा।  कई बार हम वाणी से मौन होते ,किन्तु मन वाचाल रहता। कई तरह के विचारों ,परिस्थितियों का विश्लेषण  करते हुए और परिणाम सोचता। कई बार स्वयं में वाद - विवाद की दशा का भी जनक होता है ये मौन ( वाणी) । 

मूलतः मौन वही जब मन -मस्तिष्क #सम_की_दशा में हों। ना हर्ष - ना विषाद, ना द्वेष - ना क्लेश, ना अपमान - ना सम्मान ...शेष बचती है सिर्फ निरपेक्षता.... आत्मिक निर्लिप्तता । 

बिल्कुल वैसे जैसे अंतरिक्ष का परिमाण ,पर मान शून्य...

स्वयं में गहरे होते हुए ,अंदर से शांत ,विचार शून्य हो जाना। 

हम जब स्वयं के विचारों की लहर को शांत कर उसका नियमन और नियंत्रण सीख जाते ,जब आंतरिक उद्वेलन की स्थिति को काबू करना सीख लेते..तभी हम मौन को वास्तविक रूप में जान पाते। विचारों में शव की स्थिति को जीकर शिव हो जाना ही मौन को सही अर्थों में जी लेना। 

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#ब्रह्मनाद 

#डॉ_मधूलिका

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