पेज

मंगलवार, 2 अप्रैल 2024

वर्ल्ड ऑटिज्म अवेयरनेस डे



                       (छाया चित्र साभार गूगल)


किसी बच्चे में ऑटिज्म  का पता चलता है कि तो उसके अभिभावकों को स्वयं के लिए यह दुनिया खत्म सी महसूस होने लगती है। भावनात्मक और मानसिक यंत्रणा का दौर होता है ये। फिर शुरू होता है इलाज , इंटरवेंशन और थेरेपी के लिए लगभग अंतहीन लगने वाले चक्कर। घर पर ढेर सारे समझौते ,अपने व्यक्तिगत उद्देश्यों की बलि देते हुए कई अभिभावक इससे सामंजस्य बनाने की कोशिश करते हैं।पारिवारिक सदस्यों ,आदतों को भी बच्चे के हिसाब से बदला जाता है। अलग दिनचर्या अलग योजनाएं बनती है। इस तरह से एक अन्य बच्चे के मुकाबले ऑटिज़्म वाले बच्चे को पालना कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण होता है।  

लेकिन अगर सही समय पर इसके बारे में जानकारी मिल सके तो इस स्थिति से निपटना अपेक्षाकृत सरल होगा।


इन हालात में, अभिभावक या देखरेख करने वाले व्यक्ति के तौर पर आप :-


*ऑटिज़्म के बारे में पढ़े और जानें पर ध्यान रखें हर बच्चा अलग है तो जरूरी नहीं कि नेट पर किसी अन्य के बारे में दी गई जानकारी और टिप्पणी आपके बच्चे पर भी लागू हों। नकारात्मक साहित्य से बचें। आप रेमेडीज/ समाधान की तरफ ध्यान दें। 


* बच्चे सहित परिवार में सभी दिनचर्या निश्चित करें ताकि बच्चे को अनावश्यक तनाव न हो ।उसे पूर्व आभास रहे कि आपका अलग कदम क्या होगा। 


*बच्चे ,परिवार के सदस्यों और जरूरत पड़े तो स्वयं के लिए भी मनोचिकित्सक से  काउंसलिंग लें। आप भी इंसान हैं ,भावनाओं का ज्वार आपको भी परेशान कर सकता है। 


*एक विशेष जरूरत वाले बच्चे के लिए आपको भी भावनात्मक रूप से मदद और साझा करने की आवश्यकता होती है। ऐसे समूहों से जुड़े जिनमें इस स्थिति से गुजर रहे माता पिता शामिल हों। सब आपस मे जानकारी साझा करें, एक - दूसरे की मदद करें। 


*आपके स्थान अपर थेरेपी की व्यवस्था न हो तो  प्रशिक्षण कार्यक्रमों में हिस्सा लेकर गतिविधियोंके बारे में सीख सकते हैं जिससे बच्चे के साथ काम करने में आपको मदद और मार्गदर्शन मिले। 


* ये न सोचें कि बच्चा आपको सुन नहीं रहा और उससे बात करना बंद न करें।बल्कि लगातार उससे हर चीज ,हर घटना के बारे में बताएं। रास्ते से गुजरते समय भी आप लगभग कॉमेंट्री जैसी करते रहें। ये उसे दिमाग मे नए शब्द और घटनाओं के तारतम्य को सिखाएगा।


*प्रिटेंड प्ले, इमेजनरी प्ले भी सिखाए। एक ही खिलौने से अलग अलग तरह से खेलना सिखाएं। अलग अलग कॉन्सेप्ट 

दीजिये।


* शुरुआत में बच्चे की रुचि अनुसार सोलो गेम से शुरू करके धीरे धीरे समूह में खेलने वाले गेम की तरफ लाइये। इससे बच्चे अपनी बारी का इंतज़ार करने के अलावा नियम भी सीखने लगेंगे। 


*बातचीत में  वाक्य छोटे और सरल निर्देशों वाले रखें।ताकि बच्चे को समझना आसान हो।


*शुरुआत में वो बच्चे जिन्हें भाषा या संवाद में कठिनाई हो ,उनके लिए कम्युनिकेशन कार्ड बना कर रखें। इसके माध्यम से उन्हें अपनी बातें ,जरूरत साझा करना सिखाइये।


*बच्चों को मदद  माँगने के तरीके सिखाइये।


*पहले बच्चे को समझाए फिर बोलने का प्रयास कराएँ। ताकि सही शब्द प्रयोग करना आए।


*छोटे से छोटे सफल प्रयास पर भेज बच्चे को बहुत उत्साहित कर उसे इनाम भी देना है। याद रखें ये इनाम हमेशा कोई भौतिक वस्तु न हो, बल्कि कई बार उसकी पसंदीदा गतिविधि या भाव भी हो।


*बच्चे को आप हमेशा #स्पून_फीडिंग( जरूरत से पहले ही पूर्ति) न कराएं। उसे प्रोत्साहित करिये अपनी जरूरत को प्रकट करने के लिए उसके बाद उसकी मदद करें। याद रखें आपको बच्चे को एक स्वतंत्र व्यक्तित्व बनाना है न की निर्भर ।


*आपका शारीरिक मानसिक  बेहतर होना स्वास्थ बच्चे के लिए भी जरूरी है ,इसलिए खुद पर भी ध्यान दें। 


#सामाजिक व्यवहार के लिए :- 

 1 बच्चे को घर व बाहर के लोगों से मिलाएं ।


2.  बच्चे को पार्क  या किसी हॉबी क्लास में ले जाएं।


3. दूसरों से संवाद के लिए प्रेरित करें। प्रॉम्प्टिंग कि स्थिति को हटाते जाएं। 


4.बच्चे के ऐसे व्यवहार जो बार बार दोहरा रहा हो,उसे नजरअंदाज न करें और उसे किसी भी प्रकार से व्यस्त करें ताकि उसका ध्यान उस एक गतिविधि से हटे।बच्चे को अकेलेपन की स्थिति में न छोड़े।


5.बच्चे के गलत व्यवहार को नजरअंदाज न करें। आप उसे विभिन्न तरीकों से समझाने का प्रयास करें कि उसके द्वारा की गई  गतिविधि ने आपको /अन्य को नुकसान पहुंचाया।गुस्से और दुख को दिखाने के लिए शारीरिक हावभाव के अलावा विजूअल कार्ड का इस्तेमाल करें।बच्चे की वीडियो या फ़ोटो( अवांछित व्यवहार के दौरान) लेकर रखें और समझाते समय इसे दिखाएं। 


 6.बच्चे के साथ  नज़र मिला कर बात करने की कोशिश करे,उसका ध्यान आकर्षित करने के लिए उसके रुचि की वस्तु अपने चेहरे के पास रख बात करें। 


7. हर सही प्रयास के लिए प्रोत्साहित करना कभी न भूलें ।


बच्चे का गुस्सा या अधिक चंचलता दिखे तो उसे शारीरिक व्यायाम ,खेल सम्बन्धी गतिविधि में लगाएं। इससे अलावा यदि उसकी गतिविधि स्वयं या अन्य को शारीरिक क्षति पहुंचाने के स्तर पर हों तो मनोचिकित्सक से सम्पर्क करें।

 

कोई टिप्पणी नहीं: