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सोमवार, 3 अक्तूबर 2022

प्रेम से अपेक्षा की उपेक्षा करो

 

उम्मीद का जन्म प्रेम से होता है, जबकि प्रेम की मृत्यु का कारण अधिकांशत : उम्मीद ही होती है। 


अक्सर हम जब जीवन में हर तरफ से निराश होते हैं ,अपना जीवन व्यर्थ लगता ,कोई अपना महसूस नहीं होता,हर कदम असफलता ....और हम स्वयं को इस असफलता से उबार नहीं पाते। इस स्थिति में अगर प्रेम एक इंसान के रूप में आकर हमें थाम लेता। जो जीवन व्यर्थ लगता था ,अब उससे मोह हो जाता। वो हमें अपनी असफलता को पचा कर सफलता के लिए विश्वास दिलाने लगता। हम उत्साह से भर जाते हैं।लगता है कोई है जिसे हमारे होने ,न होने,दुखी होने,खुश होने का फर्क पड़ता है। 

मीलों दूर होने पर भी हमारे दिलों दिमाग मे उसकी ही सोच हर वक़्त चलती। यहां तक तो सब ठीक होता...... पर जिस प्रेम ने हमें वापस उम्मीद दी थी,अब हम उस प्रेम से उम्मीद लगाने लगते हैं। ये उम्मीदें अपेक्षाओं को जन्म देती, अपेक्षा अधिकार की मांग रखती। और यहीं से हम प्रेम को बंधन देने लगते। कल तक जो मुक्त रूप से अबाध हमारे साथ था ,धीरे धीरे हम उसे कैद करने लगते अपेक्षा में,उम्मीदों के साथ। और तब शुरू  होता वो दौर जब हम हमारे प्रेम से टूटने लगते। क्योंकि जब शुरुआत थी ,तब सिर्फ प्रेम था ,सब खूबसूरत था। पर ज्यों ज्यों हम अपेक्षाएं करते ,उनके पूर्ण होने और टूटने की संभावना लगभग बराबर होती। 

जब अपेक्षा टूटती तब हम सोचने लगते की शायद सामने वाले का प्रेम कम हो गया। हम तब उसकी परिस्थितियों की बजाय अपनी अपेक्षाओं के वश हो जाते। 

रूठना मानने जैसे प्यारे एहसास से अधिक शंका घर करने लगती, मान मनउअल का दौर खत्म होने लगता और और दर्प सरल भाषा मे ईगो बीच आने लगता। प्रेम के बीच खाइयां पड़ने लगती, और धीरे धीरे विवाद और अबोला और अंत मे दो दिल प्रेम को कोसते हुए अलग हो जाते....।


वास्तव में अपेक्षा किसी के लिए बेड़ी बन सकता। हम प्रेम को बदल देते हैं पारस्परिक व्यवहार में । अपने अधिकार को एकाधिकार बना लेने की जद्दोजहद न फिर प्रेम बाकी रहने देता न ही उम्मीद।और अंततः प्रेम दम तोड़ देता।


अगर वाकई हमें अपने प्रेम को प्रेम रहने देना है तो कोशिश यही रहनी चाहिए कि जिस प्रेम ने आपको उम्मीद दी थी, आप उससे उम्मीद रूपी अपेक्षा से मुक्त रखें। 

अगर प्रेम विशुद्ध है  तो हर स्थिति में आपके साथ होगा ,और अगर नहीं तो अपेक्षा की बेड़ी उसे और तेज़ी से आपसे दूर कर देती।

परखने से अक्सर रिश्ते कमजोर होते हैं। तो बिना उम्मीद के प्रेम को जियें। 

#ब्रह्मनाद

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