#पापियों के रक्त की अनन्त क्षुधा,
सम्मुख प्रस्तुत है ,एक जीव धरा,
देह है मेरी पाप से खण्डित ,
आत्मा बोध; निर्लज्ज और गलित।
हर एक बूंद में कई रक्तबीज है,
एक मरे तो उगते कई भीत से,
मैं अपने कर्म से हारी हूँ,
जग में मैं बोझ एक भारी हूँ।
ये कराल खप्पर मुंड धारी,
भक्षण हेतु त्वम आह्वायामि,
रक्त से मेरे पात्र भरो ,
क्षुधा को अपनी शांत करो तुम।
कर मुझ पापन के,
रक्त के स्न्नान,
कर दो मेरी देह,
धूनी समान।
दूर करो इस देह धर्म से,
जीवन को इस कर्म खण्ड से,
संग लो अपने ,देह तत्व में ,
ले लो आत्मा ,आत्म शरण में।
🙏🏻🙏🏻🚩🚩🙏🏻🙏🏻
स्वीकार करो माँ ....
#डॉ_मधूलिका_मिश्रा_त्रिपाठी
#ब्रह्मनाद
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