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रविवार, 1 जून 2025

सैपियोसेक्सुअलिटी: सोच से प्रेम


     ( चित्र - गूगल से साभार)



जिंदगी में कभी हम किसी ऐसे शख़्स से मिलते हैं या यूं कहें कि संपर्क में आते हैं,  जिसकी ना सूरत देखी ना ही उसके बारे में कुछ पता होता। पर जब वह हमसे बात करना शुरू करते हैं , तो हर शब्द मानो आत्मा को छूने लगता। उसने विचारों में गहराई होती है, बातों में तथ्य, और सोच में ऐसा आकर्षण, जो सीधा अंतस में उतरता चला जाता है।


वो एक चेहरा नहीं था जिसने हमें बांध लिया होता है, वो शब्द थे। वो उनकी चेतना की आवाज़ थी जो दिमाग में पैठ बना लेती है , वो  उनकी सोच थी। और ऐसे अनुभव का नाम है सैपियोसेक्सुअलिटी।


यह एक एहसास है उनके लिए जो सुंदरता को सिर्फ आंखों से नहीं, मन से देखना जानते हैं। जिनके लिए सबसे आकर्षक चीज़ होती है किसी का मस्तिष्क। उनके लिए सुंदरता कोई तस्वीर नहीं, बल्कि विचारों की एक जीवंत भावना होती है , गहराई से बढ़ती हुई।


सैपियोसेक्सुअल लोग तब प्रेम में पड़ते हैं, जब कोई किसी विषय पर इतनी बारीकी से बात करता है कि हर शब्द एक नया आयाम  खोल दे। विज्ञान, दर्शन, साहित्य, मनोविज्ञान ,प्रेम ,धर्म , इन बातों में उन्हें वही अनुभव मिलता है जो किसी और को खूबसूरत चेहरे , आँखों की चमक या मुस्कुराहट में मिलता । वे संवाद को सतही नहीं बल्कि आत्मा तक ले जाना चाहते हैं।वो सिर्फ सुनना नहीं चाहते ,वो गुनना चाहते हैं । वो अनुभूति को चेतना के स्तर पर जीना चाहते । 


उनके लिए आकर्षण तब जागता है जब उन्हें महसूस हो कि, "उसकी सोच ने मुझे बदल दिया।" ,"उसके जैसी सोच सबकी होनी चाहिए ", "आज उसके नजरिए ने मुझे सोचने का नया आयाम दिया"। वो जो दिमाग को झकझोर डाले । वो जो दिमाग की भूख भी हो ,और खुराक भी। 


वे मन को पहले पढ़ते हैं, विचारों को  महसूस करते हैं। चेहरे की बनावट उनके लिए गौण होती है, पर सोचने का तरीका उन्हें बांध लेता है। जब वे किसी ऐसे व्यक्ति से मिलते हैं जो सवाल करता है, जो नई चीज़ें सीखने को लेकर व्याकुल है, तब उनके भीतर वह स्थायी रूप से बसने लग जाता। 


उनके लिए रिश्ते सिर्फ साथ चलने का नाम नहीं, बल्कि साथ सोचने का नाम होते हैं। उनके लिए प्रेम एक ऐसी बातचीत है जो रात के सन्नाटे में भी गूंजती है। एक ऐसा मौन संवाद, जिसमें दो ज़हन एक-दूसरे को धीरे-धीरे खोलते हैं।जहां उन्हें। बोलने की आवश्यकता भी ना पड़े ....पर मानसिक तरंग एक ही आवृत्ति में हों। 


हाँ, कुछ लोग कहते हैं कि यह घमंड है ,दिखावा है..... बुद्धिमत्ता को सौंदर्य से ऊपर रखना। लेकिन शायद यह सिर्फ एक अलग दृष्टिकोण है। हर किसी की अपनी पसंद होती है। कोई बाहरी आकर्षण में डूबता है, तो कोई भीतर की रोशनी में।


सैपियोसेक्सुअल वही लोग हैं जो शब्दों से प्यार करते हैं, सोच से बंधते हैं, और विचारों में अपना घर ढूंढ़ते हैं। जिनके लिए मस्तिष्क ही सबसे सुंदर अंग होता है , क्योंकि एक दिन चेहरा बदल जाएगा, आवाज़ धीमी पड़ जाएगी, लेकिन एक जीवंत सोच..... वो हमेशा युवा रहेगी।  और शायद, यही प्रेम का सबसे स्थायी रूप है।क्योंकि शरीर मरता है, पर सोच और विचार कभी नहीं.....। 


#ब्रह्मनाद

#डॉ_मधूलिका

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