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सोमवार, 11 मार्च 2024

अपना टाइम आएगा

 



गली बॉय मूवी का गाना ,बिटिया बड़े मजे लेकर सुनती है.... अपना टाइम आएगा। उसमें एक लाइन है , तू नंगा ही तो आया है ;क्या घंटा लेकर जाएगा। 

कहने को हल्के फुल्के तरीके से रैप म्यूजिक में ये गाना लिखा - गाया गया ।पर जब सोचने में आते तो लगता जिंदगी की कितनी बड़ी हकीकत है । पैदा हुआ तो पास में कुछ नहीं था ,तन पर कपड़ा भी नहीं ,सांसे भी मां से मिली थी। 

फिर शुरू होता जिंदगी का सफर। कितने भाव , कितने कलुष,कितने झूठे अभिमान ,कितने द्वेष ,कितने द्वंद,कितने औकात और पहुंच से दूर के सपने , कहने को अपने , परिचित , पड़ोसी , दोस्त , सहयोगी , परिवार..... । 

कई जीवन से भी कीमती सपने जीने की चाहत में अभी गुजर रहे वक्त को नजरंदाज करते ,सबसे गुजरते हुए बारी आती.... टाइम आने की .जिस टाइम की चाहत थी वो नहीं ,बल्कि वो टाइम जब बस टाइम ही नहीं होता हमारे पास... अब सबसे बड़ा सच का सामना करना होता जो शायद जीवन का सबसे मुश्किल काम होता। लाइन याद आई .... क्या घंटा लेकर जाएगा... जिस शरीर में जीवन शुरू किया वो भी उस वक्त शरीर नहीं मिट्टी कहलाने लगता। उसे भी छोड़कर जाना पड़ता। साथ क्या है ?????? कुछ नहीं , जिसके लिए जीवन भर भागते रहे ,लड़ते रहे , रूठते रहे ,गिरते उठते किसी तरह सब पाने की जद्दोजहद .... खत्म हुआ तो हांथ खाली और जिस्म भी खाली। 

आंखें शून्य में ताकती रह जाती और आसमान ;अनंत बन जाता। 

कितना भंगुर है जीवन । कब सांस का सफर खत्म हो ये भी नहीं पता और हम ना जाने कितने भाव (अच्छे -बुरे) और सपने पाले रहते। लिखते हुए सोच रही कि ये ड्राफ्ट पूरा हो सकेगा ? क्या इतनी मोहलत होगी? क्या ये सोच साझा कर सकने की मोहलत होगी....? जबाव नामालूम । जीवन कभी कभी छलावा लगता ,लगता जो दिख रहा वो सच नहीं ,भ्रम है। हम भ्रम जी रहे ।इसमें ही हम हमारी सबसे बड़ी खुशियां खोज लेते हैं। और फिर सच की सोच से डरते.... जीवन सच में श्रोडिंगर की बिल्ली और बक्सा लगता , आप आंख बंद करो मेरा अस्तित्व विलुप्त.... आंखें खोलो हम सामने.....। क्या सच ,क्या भ्रम,जितना सोचते उलझते ही जाते .... पर ये जिंदगी मरने भी आसानी से नहीं देती..... लाखों बार जीने की सजा मिलती ही है ,एक बार सुकून से मरने के लिए। मिट्टी को यही छोड़ जाने के लिए ....कई कई बार एक ही शरीर के भाव की मृत्यु और पुनर्जन्म .... । 

गाने का स्वर तेज हो चुका है...... अपना टाइम आएगा... 🙂

#ब्रह्मनाद 

©® डॉ_मधूलिका मिश्रा त्रिपाठी 

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