शंख फिर से फूंक दो ,दो प्रेरणा इस देश में,
ज्ञान का प्रकाश दो ,दो सभ्यता इस देश में..
संसार में हम ढूंढते हैं आज ऐसा आदमी ,
इंसान खुद को कह सके; मिलता नही वो आदमी..
मर्यादा का पाठ भूले,राम के इस देश में...
असुर तांडव कर रहे हैं ,मानवों के वेश में ...
तो शंख फिर से फूंक दो ,दो प्रेरणा इस देश में,
ज्ञान का प्रकाश दो ,दो सभ्यता इस देश में..
डॉ मधूलिका
ज्ञान का प्रकाश दो ,दो सभ्यता इस देश में..
संसार में हम ढूंढते हैं आज ऐसा आदमी ,
इंसान खुद को कह सके; मिलता नही वो आदमी..
मर्यादा का पाठ भूले,राम के इस देश में...
असुर तांडव कर रहे हैं ,मानवों के वेश में ...
तो शंख फिर से फूंक दो ,दो प्रेरणा इस देश में,
ज्ञान का प्रकाश दो ,दो सभ्यता इस देश में..
डॉ मधूलिका
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