(चित्र:- साभार गूगल)
काफ्का और छोटी लड़की कहानी में एक प्रसंग है :-
*काफ्का ने उसे एक और पत्र दिया जिसमें गुड़िया ने लिखा था: "मेरी यात्राओं ने मुझे बदल दिया है।" छोटी लड़की ने नई गुड़िया को गले लगाया और उसे खुश घर ले आई।*
इन पंक्तियों को पढ़कर लगा कि काफ्का ने गुड़िया के जरिए जीवन की वास्तविकता कही है। यात्राएं हमें बदल देती हैं। यहां यात्रा का अर्थ सिर्फ स्थान विशेष के मध्य भौतिक गति से नहीं ले सकते। जीवन के बढ़ते चरण भी तो एक यात्रा है। एक क्षण से दूर क्षण में जाना, समय का परिवर्तन हमें एक irreversible यात्रा कराता है। इस दौरान मिले लोग, अनुभव , घटनाएं सच में हमें बदल देती हैं। हम वो कतई नहीं रह जाते जो हम पहले थे। हम प्रतिपल स्वयं में यात्रा कर रहे होते,और प्रतिपल बदल रहे होते। हां कभी ये बदलाव सुख होते कभी दुखद ।
और काफ्का के अनुसार ""हर वह चीज़ जिससे तुम प्यार करती हो, कभी न कभी तुमसे खो जाएगी, पर अन्त में जो लौट कर आएगी और जो तुम्हारे पास होगी, वही तुम्हारे लिए सच्चे रूप में बनी होगी। रूप भले ही भिन्न होगा, पर प्यार एकदम ख़ालिस होगा।"
हममें अंत में क्या बचता ,कई अपेक्षाएं टूट जाती, कभी कुछ नए विश्वास के बंधन जुड़ जाते। हम जो चाहते वो पा नहीं पाते ,जो मिलता वो हमें अपेक्षित भी नहीं होता।जीवन के अंत से बिल्कुल पहले लाख बदलावों के बाद भी जो हमारे लिए अनअन्तिम होता,वही खालिस रूप से हमारा होता... और जीवन की शुरुआत से अंत तक की स्थिति........ हां जमीन - आसमान का अंतर लिए हुए होता। हां सच है यात्राएं हमें बदल देती हैं।
#ब्रह्मनाद
#डॉ_मधूलिका_मिश्रा_त्रिपाठी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें