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बुधवार, 5 अक्तूबर 2016

अच्छा होगा

टेढ़ी-मेढ़ी , ऊंची नीची पगडण्डी सा
ये सफ़र.
अब थम जाए, तो अच्छा होगा ,
उधडा-उजड़ा , रंगहीन सा
ये निर्झर ,
बंध जाए, तो अच्छा होगा ,
मन -साधन ,माया और मोह का ,
ये चक्कर ,
थम जाए ,तो अच्छा होगा ,
कर्म-क्रोध ,धर्म और द्वेष का ,
ये गह्वर ,
सूख जाए, तो अच्छा होगा
नीरस - विकल , वीतराग सा
ये जीवन
अंत होए, तो अच्छा होगा ,
विनय,आराधन ,शाश्वत सुख , संयोग समाधी ..
का अनंतिम,
ज्ञान मिले, तो अच्छा होगा ,
जीवन का जो मोह छूट कर ,
मृत्यु का ,
अंतिम स्पंदन ,
मिल जाए ,तो अच्छा होगा...
(डॉ. मधूलिका )

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