ख्वाब रुकेंगे इन् पलकों में ,उस ओस की तरह...
बिखरेंगे भी तो फैलेंगे ,वो नमी की तरह ...//१//
कभी उलझे ,कभी सुलझे , कटेंगे पल इस तरह ..
कभी लगे नीम ,कभी शहद की मिठास की तरह ..//२//
जिंदगी फिर गुलज़ार होगी ,इन मौसमों की तरह ,
पतझड़ आएँगे भी तो सावन की ,सुगबुगाहट की तरह..//३//
कर रहे हैं जिंदगी पर , यकीं हम कुछ इस तरह...
कि रात भी आती है .... नयी भोर की आहट की तरह ...//४//
(मधुलिका )