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रविवार, 26 नवंबर 2017

उन्मुक्त मन का आसमान ...


.हाँ मेरे पास भी है मेरा अपना आसमान ,
जिसमे सितारों की तरह दिखते हैं,
मेरे अरमान,
आकार है उसमे ,
पर विस्तार नही...
मेरा अपना है वो.पर वो एक संसार नही ,कुछ सीमित सा,/कुछ अदृश्य सा ,,,दुनिया से अब भी अछूता ...तुमने देखा ना होगा....?????देखोगे कैसे...!!!!!!!वो एकांत है ,,एकाकी है ,मेरे आँखों में बसता है,मेरी सोच का रस्ता है...मर्यादाओं से घिरा, वो छुपा है,,इन् चारदीवारियों पर टिकी ,एक छत के नीचे,बिलकुल मेरे अतीत की तरह .मेरे ह्रदय की कठोर दीवारों के भीतर छिपे मर्म की तरह ..जहाँ रोज मैं उडती हूँ..अपने कटे पंखों को सोच में समेट कर...तुम्हारे बन्धनों की सीमाओं में ....
उन्मुक्त मन का मेरा भी,
है . .एक खुला आसमान .
चार दीवारी से घिरा ,
पर बस मेरा ,,,,सिर्फ मेरा
है एक आसमान ...

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