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रविवार, 26 नवंबर 2017

टैबू -2



इस शीर्षक पिछले भाग "इनबॉक्स" में आप सबकी बेहतरीन बहुआयामी टिप्पणियों ने मुझे इस दूसरे भाग "शारीरिक सम्बन्ध" को लिखने के लिए प्रोत्साहित किया।
ये शब्द सामने आते ही हम सबके दिमाग मे अलग अलग तरह के ख्याल आने लगते हैं। कुछ के लिए निषेध, कुछ के लिए कर्तव्य ,कुछ के लिए जीवन का विशेष और अनिवार्य पहलू और कुछ की दृष्टि में मज़ेदार विषय।
दअरसल ये सब आपके माहौल और परवरिश पर निर्भर करता। की आप किस विषय को कैसा सोचते। सभ्यता के विकास के साथ साथ हम जैसे जैसे अपग्रेडेशन की सीढ़ियां चढ़ते गए ,कुछ क्षेत्रों में हमारे सोच के दायरे सिकुड़ते चले गए।
मानव जीवन के चार पुरूषार्थ में धर्म ,अर्थ ,काम ,मोक्ष को माना गया। और जो विषय पुरुषार्थ में शामिल वो त्याज्य कैसे हो सकता?????
दरअसल काम मानसिक ,शारीरिक और भावनात्मक स्तर पर ही पूर्णता पाता। 
आपको लग रहा होगा कि मैंने क्यों ये विषय चुना। तो जरा अपने आस पास देखिए,खबरों पर नज़र डालिये। बलात्कार ,अवैध गर्भपात ,छेड़छाड़ जैसी घटनाएं , यौन हिंसा क्या आपको व्यथित नही करती???? 
अगर देखा जाए तो काफी हद तक इसके लिए हमारे बनाए गए दायरे या टैबू जिम्मेदार हैं। एक उम्र में आने के बाद लगभग हर किसी की स्वाभाविक उत्सुकता इस विषय पर होती। किन्तु अपनी शंकाओं के समाधान के लिए उचित संसाधनों और मार्गदर्शन के अभाव में गलत माध्यमो के द्वारा अधकचरा और निम्न स्तरीय साहित्य का सहारा लेते। 
हमारा सामाजिक और पारिवारिक परिवेश भी ऐसा होता कि हम अपने अभिभावकों से या किसी बड़े से इस संबंध में बात करना खास निषेध पाते। 
परिणामस्वरूप प्रकृति का एक अनमोल वरदान ,अभिशाप में बदल जाता। जो सम्बन्ध जीव के अस्तित्व को निरंतरता प्रदान करते , वो किसी की मान ,मर्यादा, भावनाओं और जीवन पर संकट बन जाते ।
तो कैसे रोका जा सकता।
रोकना तो सम्भव नही पर इन सम्बंधों के बारे में संतुलित और सरल जानकारी देकर काफी हद तक हम नियंत्रित कर सकते। इसे टैबू की तरह बच्चों के सामने प्रस्तुत न करें । बल्कि इसका परिवारिक ,सामाजिक जीवन मे प्रभाव बताएं । उन्हें हर पहलू बता कर चुनाव के लिए बोलिए। 
ये सिर्फ बच्चों के लिए नही बल्कि उस वयस्कों पर भी लागू होता जो निजी सम्बन्धों में किसी किस्म की समस्या महसूस करते किन्तु उचित सलाह के लिए योग्य सम्बंधित से सम्पर्क में झिझक महसूस करते और अपना जीवन नरक कर लेते।
जो आपके जीवन का अनिवार्य पहलू उसके बारे में सही जानकारी से झिझकना ,स्वयम के जीवन और खुशियों से झिझकना जैसे हैं। 
आपको सही स्रोत और जानकारी आपको जीवन के प्रत्येक पहलू में सफल और उत्कृष्ट बना सकता । याद रखें चरित्र निर्माण स्वयम की कमजोरी को छिपा कर नहीं,बल्कि उन पर विजय प्राप्त कर किया जाता।
स्वस्थ रहें, सुलझे हुए रहें ।
शुभरात्री माता मधुमयी की ओर से। 💐

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