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शनिवार, 26 दिसंबर 2020

स्त्री - नजरिया

मुक्तक ,क्षणिकाएँ ) 

1# .देवताओं का भोग,

इंसान की भोग्या,

प्रारब्ध तेरा ,

देवदासी सा।।


2#.ससुराल की मर्यादा,

मायके का मान,

फिर भी बनी रही,

तू सजावटी सामान।


3#.सरस्वती की पुत्री,

और दुर्गा का भान,

बलात तुझे जुटाना ही होगा,

लक्ष्मी का सम्मान।।


4#.वस्त्र विन्यास तेरा ,

बस होगी तेरी पहचान,

6 गजी साड़ी में,छुपा रखेगी ,

समाज के दोहरे आयाम।।


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