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शनिवार, 18 फ़रवरी 2017

विप्लव गान

कवि तुम विप्लव गान लिखो,
उत्सव नही आह्वान लिखो।
अधरों पर तुम रस ना लिखना,
वीरों के यश गान लिखो।
बसंत पर्व पर प्रणय ना लिखना,
साहस, शौर्य ,बलिदान लिखो।
प्रणयी की मनुहार ना लिखना,
मातृभू पे उत्सर्गों के प्रमाण लिखो।
कवि तुम विप्लव गान लिखो,
उत्सव नही ,आह्वान लिखो।।

(नमन माँ भारती और उनके उन पुत्रों को जो अपने प्राणों का उत्सर्ग कर ,हमें उत्सव मनाने के अवसर जुटाते हैं।जय हिंद की सेना)
(डॉ.मधूलिका)

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