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शनिवार, 18 फ़रवरी 2017

संवेदना

"संवेदना तुम कहाँ हो?
स्थितियां कहती है,
तुम नहीं रही.
क्या यही एक सत्य है....
तुम विदीर्ण हुई??
तुम विलुप्त हुई????
देखा था,
मानवता में तुम्हारा वास था,
मर्यादा तुम्हारा लिबास था.
हर सांस में वेदना का साथ था ..
जुबां पर "दया-करुणा" का वास था ।
हमें यकीन है ;तुम अशेष हो,
बिन चुके ,बिना रीते,
जीवंत हो, लौट आओ।।
वेदना को,
तुम्हारी तलाश है,
मर्यादा को ,
तुम्हारे लौट आने की आस है ,
दया-करुणा,
तुम बिन उदास हैं...
मानवता को ,
तुमसे ही जीवन की आस है.......
संवेदना "तुम कहाँ हो"?
(डॉ. मधूलिका)

1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

बहुत सुंदर