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गुरुवार, 12 जुलाई 2012

विरह



प्रिये जब तुम मेरे पास नही थे ,जीवन के एहसास नही थे...

स्मृतियों के गहबर वीराने ,एकाकी हम,तुम साथ नही थे ..


बारहमासी जीवन था ये,पर इनमे मधुमास नही थे.. 
नाग दंश सी डसती थी रातें,उज्जवल से विभात नही थे..


तिक्त धरा सा तपता था मन,मेघों के अभिसार नही थे..प्रतिमा सा पाषण था ये तन , तुम मेरे अभिराम नही थे..

प्रिये जब तुम मेरे पास नही थे,जीवन के एहसास नही थे ,,,,

( मधुलिका )

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