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गुरुवार, 8 सितंबर 2011

भारत में चल रहे राजनैतिक अस्थिरता के दौर  के साथ  साथ  विगत २६ नवम्बर को मुंबई पर हुए हमले  के बाद ७ सितम्बर को हुए ब्लास्ट ने आतंरिक सुरक्षा पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया साथ ही देश की सुरक्षा के लिए पुख्ता इन्तेजाम करने वाली सरकारी दावों की भी पोल खोल दी है .
भारत की राजनैतिक -संवैधानिक परंपरा में शुरू से ही धर्म निरपेक्षता ,सहनशीलता व लचीलेपन को विशेष स्थान दिया गया है हमने हमेशा ही पडोसी देशों के प्रति उदारवादी दृष्टिकोण रखा है .यही वजेह है की संसद में हमला,मुंबई में श्रंखलावार ब्लास्ट ,जयपुर ब्लास्ट के बाद भी हमारी सरकार दोषियों को पनाह देने वाले देशों की सरकारों से सिर्फ बथीत के जरिये हल निकालना चाहती है...कई बार की सियासी बातचीत और समझौते का परिणाम "ढ़ाक के तीन पात" होता है .पकिस्तान और अन्य पडोसी मुल्कों की सरजमीं पर भारत में आतंकवाद को फ़ैलाने की साजिशें लगातार रची जा रही हैं..किन्तु हम इसे रोकने के लिए सिर्फ सहयोग और वार्ताओं की राह ताक रहे हैं.दूसरी तरफ बांग्लादेश के तरफ से होने वाली घुसपैठ और गैर-चिन्हित शरणार्थियों को हमारी उदारवादी नीति ने पनाह देकर आतंरिक सुरक्षा पर भी संकट खड़ा कर दिया है .पूरा देश आज धार्मिक उन्मादियों के आतंक से जूझ रहा है....फिर भी हम उदार बने रहना चाहते  हैं .आतंक का न तो चेहरा होता है न तो धर्म....ये तो सिर्फ इंसानियत का दुश्मन होता है .धर्म,भाषा ,परिवार ,समाज की सीमाओं से परे.सच कहें तो जेहाद के नाम पर आतंक फ़ैलाने वाले मानसिक विकृत हैं.इन्हें जान से मार देना आतंकवाद का अंत नही है.वे तो पेड़ की पत्तियों की तरह उगते रहेंगे .तो फिर इसका उपाय क्या है..........उपाय है पेड़ को जड़ से ख़त्म करना

.हमारे देश में आज भी अफजल गुरु और कसाब जैसे आतंकवादियों पर कोई फैसला नही हो पाया है.यह भी संभव है की इन पर मुकदमा चलते चलते ये अपनी अवस्था की वजह से स्वाभाविक मौत मरें और अंत में दोषियों की मौत की वजेह से फाइल बंद हो जाएगी.....!अमेरिका में २६/११ को हुए हमले के बाद उसने तुरंत ही रक्षात्मक कार्यवाही की साथ में आक्रामक भी .यही कारण है की वहां अब ताक हमलों की पुनरावृत्ति नही हुई.वहीं दूसरी तरफ हमने सहनशीलता और क्षमाशीलता का जमा ओढ़े हुए सिर्फ मदद की गुहार लगाई..पडोसी देशों से सिर्फ इतनी उम्मीद रखी की वो हमारे देश में शांति बनाए रखने में मदद करें.परिणाम सामने है ....सीमापार से आतंक में दिन ब दिन होता इजाफा..और वर्तमान में न्यायमंदिर पर हुआ हमला .
क्षमाशीलता सर्वश्रेष्ठ गुण है ;किन्तु देश की सुरक्षा से खिलवाड़ करने वालों को क्षमा कर देना अस्तित्व पर संकट उत्पन्न कर सकता है . अब वक़्त नही बचा की हम सिर्फ चुप रह कर वार्ताओं के भरोसे आतंकवाद को ख़त्म करने की राह देखें.....समय आ गया है की अपनी खामोश मिजाजी को तोड़ें और प्रतिरक्षात्मक होते हुए;आक्रामक भी बने .क्योंकि जब ताक हम "क्रिया के विपरीत प्रतिक्रिया "का सिद्धांत नही अपनाएँगे ;इंसानियत के दुश्मन किसी न किसी रूप में जख्म देने ,बढे हुए हौसले के साथ आएँगे .अब जरूरत है की आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम और उसमे सहयोग देने वालों को मुंहतोड़ जवाब दें .जरूरत पड़े तो ओसामा के खिलाफ की गई अमेरिकी कार्यवाही की तरह हम भी आक्रामक नीति अपनाएं.
यह भी महत्वपूर्ण है की लम्बे समय से चली आ रही सियासी अस्थिरता के दौर को ख़त्म किया जाए ...क्योंकि राजनैतिक विवाद सरकार का ध्यान देश की सुरक्षा के तरफ से हटाने के लिए काफी हद ताक जिम्मेदार होते हैं
हमारा तो मानना है की देश की सुरक्षा और व्यवस्था सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी नही है...उन्हें दोष दे कर हम अपने कर्तव्यों की इतिश्री नही कर सकते.हम सबको इसके लिए सजग,सतर्क,रहना होगा और  एकजुटता से आतंकवाद के खिलाफ खड़े होकर..जड़ से मिटाना होगा

8 टिप्‍पणियां:

कमल कुमार सिंह (नारद ) ने कहा…

बहुत अच्छा

Arunesh c dave ने कहा…

बहुत ही अच्छा लिखा है आपने। किंतु आपको भारत पाकिस्तान संबंधो और पाकिस्तान की नीतियों का भी थोड़ा अध्ययन करना चाहिये मुख्यतः पाकिस्तान ने युद्धो मे अपनी हार के बाद यह समझ लिया है कि वह भारत से युद्ध मे नही जीत सकता अतः उसने अपने को नेशनल सिक्योरिटी स्टेट बना लिया है जिसके तहत अब उसकी रणनीति सुरक्षात्मक सैन्य नीती और आक्रमण मे आतंकवाद की नीति। शेष आपको विस्तार से समझने के लिये मै लिंक दे दूंगा

अनुराग त्रिवेदी ने कहा…

first of all i want to appreciate your blog name NINAD" and lot of thanks that you share such very essential text through the site.

terrorism is really Big issue as far as economics,poultices and further important unimportant is concern.. above all to discus best for the guide ill say you ... ask to your school college going social sites friends to join your blog... and share views .

when youth will start thinking sincerely abt the fact and the all fiction thn definably it will first step to rescue Terrorism .....

Er.Jayant Sharma ने कहा…

बहुत ही सही विवेचना की है आपने मधुलिका जी......

Dr.Madhoolika Tripathi ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद

Dr.Madhoolika Tripathi ने कहा…

धन्यवाद ...नारायण नारायण :-)

Dr.Madhoolika Tripathi ने कहा…

आपके मार्गदर्शन की सदैव आवश्यकता रहेगी

Dr.Madhoolika Tripathi ने कहा…

धन्यवाद भाई....आंतरिक सुरक्षा के लिए भी स्थिति क्रांतिक है....जो दीमक की तरह खतरनाक है..